HRTC बस में न्यूनतम किराया बढ़ने से आम आदमी परेशान, यात्रियों ने कहा- जेब पर बढ़ेगा बोझ
ऑनलाइन न्यूज नेटवर्क (ONN)
शिमला: हिमाचल प्रदेश सरकार ने न्यूनतम बस किराया बढ़ाकर 5 रुपये से 10 रुपये कर दिया है. यह नया किराया अब चार किलोमीटर तक के लिए लागू होगा. अधिसूचना जारी होने के बाद यह फैसला पूरे राज्य में लागू हो गया है. इस फैसले को लेकर प्रदेशभर में आम जनता के बीच मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं. शिमला के पुराने बस स्टैंड पर जब हमने यात्रियों से बात की, तो कोई इससे नाखुश दिखा, तो कुछ लोगों ने इसे एक जरूरी कदम बताया.
“छात्रों पर सीधा असर पड़ेगा”
बीए की पढ़ाई कर रही छात्रा सोनाली वर्मा ने कहा, “मैं रोज कॉलेज जाती हूं और महीने में करीब 50-60 बस यात्राएं होती हैं. अब 5 की जगह 10 देने पड़ेंगे, तो मेरा मासिक खर्च दोगुना हो जाएगा”.
“कामकाजी लोगों की जेब पर बोझ”
बस स्टैंड में चाय पकोड़े की दुकान चलाने वाले अनिल मेहता ने कहा, “हम जैसे लोग सुबह-शाम दो बार बस लेते हैं. अब 20 रुपये रोज खर्च होंगे. महीने में 600 रुपये सिर्फ किराए में लग जाएंगे, आमदनी वही है, खर्च बढ़ते जा रहे हैं”.
“जरूरी था, पर और विकल्प होने चाहिए थे”
बुजुर्ग यात्री सुनीता देवी ने कहा, “बसें चलती हैं, तो थोड़ा बहुत खर्च बढ़ना तो समझ में आता है,लेकिन सरकार को सीनियर सिटीजन और छात्रों के लिए रियायत रखनी चाहिए थी.”
ऑफिस जाने वाले संदीप शर्मा ने कहा, “अगर इससे बसें समय पर चलें, साफ-सुथरी हो और भीड़ कम हो, तो 10 रुपये देना गलत नहीं, लेकिन बदलाव सिर्फ किराए में हो और सुविधा वही पुरानी, तो जनता को गुस्सा तो आएगा”.
“छोटे दुकानदारों की दिक्कत”
शिमला के लोअर बाजार में किराने की दुकान चलाने वाले रमेश ठाकुर ने कहा, “हम रोज़ दुकान पर बस से ही जाते हैं. अब 5 के बदले 10 देना पड़ेगा। ये हर दिन की बात है, महीने का खर्च काफी बढ़ जाएगा”.
“पर्यटकों को फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन…”
दिल्ली से शिमला घूमने आए एक पर्यटक आदित्य भटनागर बोले, “10 रुपये हमें ज्यादा नहीं लगते, लेकिन अगर लोकल लोगों की जेब पर असर पड़ रहा है तो सरकार को उनका ध्यान रखना चाहिए”.
जनता का सवाल– क्या सुविधा में भी होगा सुधार?
हालांकि, अधिकांश यात्रियों का यही कहना है कि अगर किराया बढ़ाया जा रहा है, तो बदले में सुविधाएं भी बेहतर होनी चाहिए. साफ-सुथरी बसें, समय पर सेवा और भीड़भाड़ से राहत ये अब लोगों की प्राथमिक मांग बन चुकी हैं.
