Himachal: जन्म के 6 माह बाद ही खो दिया था पिता, चाचा ने थामा हाथ- बेटा बना लेक्चरर
ऑनलाइन न्यूज नेटवर्क (ONN)
कहते हैं कि कठिनाइयों से लड़ने वाले ही असली विजेता होते हैं। ऐसी ही प्रेरणादायक कहानी है एक ऐसे बेटे की, जिसने अपने जन्म के छह महीने बाद ही पिता को खो दिया, लेकिन अपनी मेहनत और लगन से जिंदगी में एक खास मुकाम हासिल किया।
6 महीने की उम्र में खोया पिता
पिता के निधन के बाद परिवार पर आर्थिक संकट गहरा गया, लेकिन चाचा ने बेटे को अपने संघर्ष और हौसले से आगे बढ़ाया। चाचा ने कभी भी उसकी पढ़ाई में कमी नहीं आने दी। सीमित संसाधनों के बावजूद बेटे ने अपनी पढ़ाई जारी रखी और अपने लक्ष्य की ओर कदम बढ़ाता रहा। कठिन परिस्थितियों के बावजूद उसने हार नहीं मानी और अपनी मेहनत के दम पर सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचा।
चाचा ने बढ़ाया हौसला
आज वही बेटा अपने सपनों को साकार करते हुए प्रवक्ता बन गया है। यह केवल उसकी नहीं, बल्कि उसके चाचा और पूरे परिवार की जीत है। यह कहानी न सिर्फ संघर्ष की मिसाल है, बल्कि उन लोगों के लिए प्रेरणा भी है जो विपरीत परिस्थितियों में भी अपने लक्ष्य को नहीं छोड़ते। सच ही कहा गया है- हौसले बुलंद हो तो मुश्किलों का साया भी दूर चला जाता है।
बेटा बना हिस्ट्री का प्रवक्ता
शिमला के कुपवी उपमंडल स्थित बाग गांव के होनहार जोगिंदर छींटा ने इतिहास का प्रवक्ता बन अपना और पूरे परिवार का नाम रोशन कर जिया है। जोगिंदर की इस सफलता से पूरे परिवार और क्षेत्र में खुशी का माहौल है।
संघर्ष से सफलता तक का सफर
जोंगिद्र ने बताया कि उनका जीवन काफी चुनौतियों भरा रहा। उनके जन्म के महज 6 महीने बाद ही उनके पिता का देहांत हो गया। उन्होंने बताया कि उनकी मां गृहिणी हैं और बड़ा भाई खेतीबाड़ी का काम करता है। घर की आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि बड़े भाई को आगे पढ़ने का मौका नहीं मिला।
चाचा ने उठाई परिवार की जिम्मेदारी
जोगिंद्र ने बताया कि उनके चाचा मोहर देव सिंह ने उन्हें पढ़ने के लिए प्रेरित किया और उनकी पढ़ाई में हर संभव मदद की। चाचा ने पूरे परिवार की जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठा ली। उन्होंने बताया कि उनके चाचा वन विभाग HP में ब्लॉक अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं।
दिन-रात की कड़ी मेहनत
जोगिंद्र ने स्कूली शिक्षा पूरी होने के बाद नाहन कॉलेज से MA. इतिहास की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने नाहन से ही B.ed की। जोगिंद्र बताते हैं कि वो नाहन लाइब्रेरी में बैठ कर दिन-रात पढ़ाई करते रहते थे- ताकि वो अपने सपने को साकार कर सकें और अच्छी नौकरी हासिल कर सकें।
चाचा की बदौलत पहुंचे यहां
जोगिंद्र ने अपनी सफलता का श्रेय अपने चाचा को दिया है। उनका कहना है कि वो आज जो कुछ भी है, चाचा की वजह से है। जोगिंद्र ने बताया कि वो कई बार असफल भी हुए। मगर फिर भी चाचा ने कभी उन्हें हार नहीं मानने दी और हमेशा प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि चाचा ने उनकी पढ़ाई का पूरा खर्च उठाया। उन्होंने कभी भी उन्हें किसी चीज की कमी महसूस नहीं होने दी।
वहीं, जोगिंद्र के परिजनों का कहना है कि वो जोगिंद्र की इस उपलब्धि से बहुत खुश हैं। जोगिंद्र ने ये सफलता हासिल कर पूरे क्षेत्र व प्रदेश में उनका नाम रोशन कर दिया है। जोगिंद्र की सफलता के बाद उनके घर पर बधाई देने वाले लोगों का तांता लग गया है।
