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हिमाचल में खाया जाता है डंक मारने वाली बिच्छू बूटी का साग, स्वाद में अनूठा

स्वास्थ्य के लिए रामबाण, Cancer, BP जैसी जानलेवा बीमारियों से छुटकारा

ऑनलाइन न्यूज़ नेटवर्क (ONN)-

ग्रामीण क्षेत्रों में विशेषकर सर्दियों में बिच्छू बूटी (भाभर का साग) बड़े शौक के साथ खाया जाता है। सर्दियों में भाभर का साग खाने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। बिच्छू बूटी का साग स्वादिष्ट होने के साथ-साथ इसकी तासीर गर्म होती है, जिससे शरीर में ठंड का प्रकोप कम होता है।

बता दें कि बिच्छू बूटी का साग पहाड़ी व्यंजनों में से एक है और इसके साग का स्वाद अनूठा होता है। बिच्छू बूटी को ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे बच्चों को डराने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, वहीं इसमें विटामिन सी और खनिज तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।

सबसे अहम बात यह है कि बिच्छू बूटी को उगाया नहीं जाता, बल्कि यह स्वतः ही खेत- खलिहान और बंजर भूमि पर उगी होती है। ज्योतिषविदों का मानना है कि शनि की दशा में बिच्छू बूटी की जड़ को विशेष मुहूर्त में पहनने से
शनि का प्रकोप कम हो जाता है और व्यक्ति को नीलम इत्यादि पहनने की आवश्यकता नहीं होती।

पीरन गांव के वरिष्ठ नागरिक दया राम वर्मा का कहना है कि अतीत में सर्दियों में जब कोई सब्जी उगी नहीं होती थी तो भाभर का साग ही एकमात्र विकल्प हुआ करता था। आयुर्वेद चिकित्सक डा. विश्वबंधु जोशी ने बताया कि बिच्छू बूटी का वैज्ञानिक नाम अर्टिका डाइओका है। इसकी सबसे अधिक खेती अफ्रीका, यूरोप, एशिया और उत्तरी अमरीका में की जाती है।

बिच्छू बूटी में विटामिन सी और लौह की उच्च मात्रा प्रचुर मात्रा में पाई जाती है, जोकि लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को उत्तेजित करने के लिए लाभ ग्रामीण क्षेत्रों में विशेषकर सर्दियों में बिच्छू बूटी (भाभर का साग) बड़े शौक के साथ खाया जाता है। सर्दियों में भाभर का साग खाने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। बिच्छू बूटी से बनी चाय का नियमित रूप से सेवन लोअर सिस्टोलिक ब्लड प्रैशर को कम करने में मदद कर सकता है।

बिच्छु घास को एक औषधीय जड़ी बूटी माना जाता है और इसमें बुखार को नैचुरली ठीक करने की ताकत होती है। टेस्ट-ट्यूब शोध से पता चलता है कि इस पौधे का रस सूजन को रोक सकता है। यह इम्यून सिस्टम ओ मजबूत बनाने के साथ एलर्जी के लक्षणों को कम करने में भी सहायक है।

बिच्छू घास में विभिन्न प्रकार के यौगिक होते हैं जो सूजन को कम कर सकते हैं। जानवरों और टेस्ट-ट्यूब अध्ययनों में पता चला कि बिच्छु घास ने सूजन के लेवल को कम कर दिया था। एक अन्य अध्ययन में पता चला कि इस घास की अबनी क्रीम लगाने से गठिया जैसी सूजन में राहत मिल सकती है।

इस सब्जी में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो आपकी कोशिकाओं को फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाने में मदद करते हैं। फ्री रेडिकल्स से होने वाले डैमेज से उम्र के साथ कैंसर सहित कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ता है। एक अध्ययन (ref) के अनुसार, बिच्छु घास का रस खून में एंटीऑक्सीडेंट लेवल को बढ़ाता है।

 

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